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यूरेनियम संसाधन संयंत्र

जादूगोड़ा प्रसंस्करण केन्द्र

जादुगोड़ा, भाटिन तथा नरवापहाड़ खान के अयस्क को जादुगोड़ा खान के निकट केन्द्रीय संसाधन संयंत्र (मिल) में संसाधित किया जाता है । जादुगोड़ा मिल में यूरेनियम को अयस्क से अलग किया जाता है । हाइड्रो मेटालर्जिकल प्रक्रिया द्वारा क्रसिंग के तीन चरणों को पार करने के बाद कुटे हुए अयस्क को पानी के साथ दो चरणों में बारीक पीसा जाता है । इससे प्राप्त स्लरी को लीचिंग पचुका में यूरेनियम को रसायन में धोलने के लिये भेजा जाता है । यूरेनियम लीकर को प्राप्त करने के लिए लीच स्लरी को छाना जाता है । यूरेनियम लीकर को शुध्द किया जाता है तथा ऑयन एक्चेंज पद्धति के द्वारा इसे संसाधित किया जाता है । यूरेनियम इस संसाधित लीकर से अलग होकर मैग्नेशियम डाई यूरेनेट के रूप में अवक्षेषित होता है जिसे च्येलो केकछ के नाम से जाना जाता है । इसे गाढ़ा किया जाता है, साफ किया जाता है ,छाना जाता है एवं स्प्रे ड्रायर में सुखाया जाता है । अन्त में इसे ड्रम में पैक कर नाभिकीय ईंधन समिश्र हैदराबाद भेजा जाता है जहॉ इसे पुन: संसाधित कर यूरेनियम ऑक्साइड के पैलेट्स तैयार किये जाते है । मिल की अयस्क संसाधन क्षमता में वृध्दि की गयी है । यह कार्य यूसिल में उपलब्ध विशेषज्ञता द्वारा किया गया है । संसाधन क्षमता में निपुणता , अधिक उत्पादन एवं स्वच्छ पर्यावरण के लिये कम्पनी नयी तकनीक के प्रयोग एवं स्वचलीकरण पर विशेष ध्यान देती है ।

तुरामडीह प्रसंस्करण केन्द्र

तुरामडीह में तुरामडीह खान एवं बाडुहुरांग खान से प्राप्त अयस्क को संसाधित करने के लिए एक नये प्रसस्करण केन्द्र की स्थापना की गयी है । इसकी फलोसीट जादुगोड़ा मे प्रयुक्त फलोसीट के समान है । तदापि हाइड्रोमेटलर्जी संसाधन तकनीक में विश्वस्तर पर हुए विकास के मद्देनजर कुछ नयी मशीने जैसे - एप्रान फीडर ,हरीजेन्टल बेल्ट फिल्टर आदि का समावेश कर संयंत्र को आधुनिक रूप दिया गया है । संयंत्र में पीएलसी आधारित नियन्त्रण पद्धति का प्रयोग किया गया है ।